कुछ यंत्र और तंत्र प्रयोग आप के जीवन में परिवर्तन के लिए .. आपसे निवेदन है कि अपने विवेक से इनका प्रयोग करें किसी प्रकार के विपरीत प्रभाव के होने पर इनका प्रयोग न करें अगर संभव हो तो किसी के मार्गदर्शन और सलाह से इनका प्रयोग करें
तंत्र प्रयोग जिनसे बरसेगा अपार धन
कुछ यंत्र और तंत्र प्रयोग आप के जीवन में परिवर्तन के लिए
इस महंगाई के जमाने में पैंसों की तंगी होना एक सामान्य बात है। यदि आप चाहते हैं कि आपके जीवन में भी कुछ ऐसा हो जाए कि हर तरफ से धन कि बारिश होने लगे लक्ष्मी आपके दरवाजे पर दस्तक दे और आपके जीवन से सारी आर्थिक परेशानियां खत्म हो जाए तो नीचे लिखे इस उपाय को अपनाकर आप भी अपने जीवन कि धन से जुड़ी सारी समस्याओं से निजात पा सकते हैं।
- एकाक्षी नारियल को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें।
- सफेद पलाश के फूल, चांदी की गणेश प्रतिमा, व चांदी में मड़ा हुए एकाक्षी नारियल को अभिमंत्रिमत कर तिजोरी में रखें।
- घर के मुख्य दरवाजे पर कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं और बासमती चावल की ढेरी पर एक सुपारी में कलावा बांध कर रख दें। धन का आगमन होने लगेगा।
- सुबह शुभ मुहूर्त में एकाक्षी नारियल का कामिया सिन्दूर कुमकुम व चावल से पूजन करें धन लाभ होने लगेगा।
- बिल्ली की आंवल, सियार सिंगी, हथ्था जोड़ी और कामाख्या का वस्त्र इन तीनों को एक साथ सिंदूर में रखें। उपरोक्त सामग्री में से किसी को भी तिजोरी में रखने से पहले किसी विशेष मुर्हूत में ।।ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुंण्डाये विच्चे।। इस मंत्र के जप के साथ अभिमंत्रित करें।इन टोटकों से बनने लगेंगे आपके सारे काम
अगर आपका कोई भी काम आसानी से नहीं होता है हर काम चाहे वह नौकरी से जुड़ा हो, शादी से या अन्य किसी क्षेत्र से रूकावटें और असफलताएं आपका रास्ता रोक लेती हैं तो इसके लिए ये टोटके आपके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं।
किसी के प्रत्येक शुभ कार्य में बाधा आती हो या विलम्ब होता हो तो रविवार को भैरों जी के मंदिर में सिंदूर का चोला चढ़ा कर बटुक भैरव स्तोत्रं का एक पाठ कर के गाय, कौओं और काले कुत्तों को उनकी रूचि का पदार्थ खिलाना चाहिए। ऐसा वर्ष में 4-5 बार करने से कार्य बाधाएं नष्ट हो जाएंगी।
- रूके हुए कार्यों की सिद्धि के लिए यह प्रयोग बहुत ही लाभदायक है। गणेश चतुर्थी को गणेश जी का ऐसा चित्र घर या दुकान पर लगाएं, जिसमें उनकी सूंड दायीं ओर मुड़ी हुई हो। इसकी आराधना करें। इसके आगे लौंग तथा सुपारी रखें। जब भी कहीं काम पर जाना हो, तो एक लौंग तथा सुपारी को साथ ले कर जाएं, तो काम सिद्ध होगा। लौंग को चूसें तथा सुपारी को वापस ला कर गणेश जी के आगे रख दें तथा जाते हुए कहें श्री गणेश काटो कलेशं।
- सरकारी या निजी रोजगार क्षेत्र में परिश्रम के उपरांत भी सफलता नहीं मिल रही हो, तो नियमपूर्वक किये गये विष्णु यज्ञ की विभूति ले कर, अपने पितरों की क्वकुशां की मूर्ति बना कर, गंगाजल से स्नान करायें तथा यज्ञ विभूति लगा कर, कुछ भोग लगा दें और उनसे कार्य की सफलता हेतु कृपा करने की प्रार्थना करें। किसी धार्मिक ग्रंथ का एक अध्याय पढ़ कर, उस कुशा की मूर्ति को पवित्र नदी या सरोवर में प्रवाहित कर दें। सफलता अवश्य मिलेगी। सफलता के बाद किसी शुभ कार्य में दान दें।
-व्यापार, विवाह या किसी भी कार्य के करने में बार-बार असफलता मिल रही हो तो यह टोटका करें सरसों के तैल में सिके गेहूँ के आटे व पुराने गुड़ से तैयार सात पूये, सात आक के पुष्प, सिंदूर, आटे से तैयार सरसों के तैल का रूई की बत्ती से जलता दीपक, पत्तल या अरण्डी के पत्ते पर रखकर शनिवार की रात्रि में किसी चौराहे पर रखें और कहें हे मेरे दुर्भाग्य तुझे यहीं छोड़े जा रहा हूँ कृपा करके मेरा पीछा ना करना।
शनिदोष मिटाएगें ये उपाय और मंत्र
ज्योतिष के अनुसार शनि को क्रूर ग्रह माना गया है। शनि को न्यायाधीश भी माना जाता है। शनिदेव की आराधना का दिन है शनिवार। इस शनिदेव के अशुभ फल को शांत करने एवं शुभ फल को बनाए रखने के लिए विभिन्न पूजन आदि कर्म किए जाते हैं। साथ ही इस दिन के लिए कई नियम भी बनाए गए हैं जिससे शनिदेव का बुरा प्रभाव हम पर न पड़े। इन्हीं नियमों में से एक है । इसी वजह से यह काफी कठोर ग्रह है। इसकी क्रूरता से सभी भलीभांति परिचित हैं। इसी वजह से सभी का प्रयत्न रहता है कि शनि देव किसी भी प्रकार से रुष्ट ना हो। शनि गलत कार्य करने वालों को माफ नहीं करता। जिसका जैसा कार्य होगा उसे शनि वैसा ही फल प्रदान करता है। नीचे लिखे उपाय अपनाकर आप शनि दोष कम कर सकते हैं।
- शिव का पूजन करें, शिवलिंग पर प्रतिदिन जल चढ़ाएं।
- श्री हनुमान की पूजा प्रतिदिन करें।
- काले उड़द, काले तिल, तेल, लोहे के बर्तन आदि, काली गाय, काले कपड़े का दान किसी जरूरतमंद को करें।
- गरीबों को खाना खिलाएं और आवश्यक मदद करें।
- शनिवार का व्रत रखें।
- पीपल की पूजा करें, जल चढ़ाएं एवं परिक्रमा करें। इसके अलावा शनि के प्रभाव को दूर करने के लिए शनिवार के दिन नीचे लिखे मंत्र का जप करने से शनि का अशुभ प्रभाव कम होने लगता है।
ऊं शं शनैश्चराय नम:
रिश्ते में बढ़ने लगेगी मिठास इस मंत्र से
परिवार में यदि पति-पत्नी के मध्य क्लेश रहता हो, अथवा अन्य पारिवारिक सदस्यों के मध्य वैचारिक मतभेद अधिक रहते हों आप समझ नहीं पा रहे हैं कि इस समस्या से आप कैसे छूटकारा पाएं। ऐसा क्या करें? कि आपका दांपत्य जीवन सुख व शांति से भर जाएं व आपसी मतभेद खत्म हो जाए। इसके लिए आप नीचे लिखे कुंजिका स्त्रोत के मंत्र का नियमित रूप से बताई गई विधि के अनुसार जप करें। निश्चित ही आपके रिश्ते में मिठास बढऩे लगेगी।
- प्रतिदिन इस मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए।
- जप लाल चन्दन की माला से करना चाहिए और पूजा के समय कालिका देवी या दुर्गा जी विग्रह पर लाल पुष्प अवश्य चढ़ाने चाहिये।
मंत्र- धां धी धू धूर्जटे: पत्नी वां वी वू वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शा शीं शू में शुभं कुरू।।
- पति-पत्नी के साथ-साथ यदि अन्य सदस्यों के मध्य भी किसी प्रकार के वैचारिक मतभेद हों या परस्पर सामंजस्य का अभाव हो, तो ऐसी स्थिति में यह प्रयोग किया जा सकता है। सुबह सूर्योदय के समय घर के मटके या बर्तन में से घर के सभी सदस्य पानी पीते हों, उसमें से एक लोटा जल लें और तत्पश्चात उस जल को अपने घर में प्रत्येक कक्ष में छत पर छिड़के। इस दौरान किसी से बात नहीं करें एव मन ही मन निम्रलिखित मन्त्र का उच्चारण करते रहें।
मंत्र-।। ऊं शांति।।
मंत्र से सब करने लगेंगे आपकी तारीफ
कोई भी इंसान अपनी बुराई सुनना पसंद नहीं करता है। कोई भी नहीं चाहता कि उसका दुनिया में कोई भी दुश्मन हो। लेकिन कोई कितनी भी कोशिश कर ले उसका कोई ना कोई विरोधी जरूर रहता है। ऐसे में जब कोई आपके पीठ के पीछे आपकी बुराई करता है। सफलता के रास्ते में रोड़े अटकाता है। ऐसे में तनाव होना एक साधारण सी बात है।यह कोई नहीं चाहता कि इस दुनिया में उसका कोई दुश्मन भी हो।
यह अनुभव की बात है कि कई बार जहां इंसानी प्रयास सफ ल नहीं होते, वहां कोई तंत्र-मंत्र चमत्कार कर देते हैं। अपने विरोधियों अथवा शत्रुओं को शांत करने, अपने अनुकूल बनाने अथवा अपने वश में करने के लिये, नीचे दिये गए मंत्र का नियमबद्ध जप करना आश्चर्यजनक प्रभाव दिखाता है-
मंत्र-
।। नृसिंहाय विद्महे, वज्र नखाय धी मही
तन्नो नृसिहं प्रचोदयात् ।।
जप सूर्योदय से पूर्व शांत एवं एकांत स्थान पर हो सके तो जल्द ही सफलता मिलती है।
मंत्र जो शुगर और कैंसर का काल है
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने चाहे जितनी प्रगति कर ली हो, पर बीमारियों पर नियंत्रण का उसका सपना आज तक अधूरा है। आंकड़े तो यहां तक बयान करते हैं कि दवाओं के अनुपात में रोगों की वृद्धि अधिक तेजी से हो रही है। किन्तु ऐसी विकट स्थिति में भी निराश होने की आवश्यकता नहीं है। प्राचीन समय में भारत में यंत्र-तंत्र और मंत्र के रूप में एक ऐसे विज्ञान का प्रचलन रहा है, जो बहुत ही शक्तिशाली और चमत्कारी है। आज जिन बीमारियों को लाइलाज माना जा रहा है, उनका मंत्रों के द्वारा स्थाई निवारण संभव है। तो आइये जाने ऐसे ही कुछ दुर्लभ और गुप्त मंत्र-
कैंसर रोग: कैंसर के रोगी इंसान को नीचे दिये गए सूर्य गायत्री मंत्र का प्रतिदिन कम से कम पांच माला और अधिक से अधिक आठ माला जप, नियम पूर्वक एवं पूरी श्रृद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिये। इसके अतिरिक्त दूध में तुलसी की पत्ती का रस मिलाकर पीना चाहिए। सूर्य-गायत्री का का जप एक अभेद्य कवच का काम करता है-
सूर्य गायत्री मंत्र - भास्कराय विद्यहे, दिवाकर धीमहि , तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्।
मधुमेह रोग: मधुमेह यानि कि शुगर की बीमारी से छुटकारा पाने के लिये नौ दिन तक रुद्राक्ष की माला से आगे दिये गए निम्र मंत्र का 5 माला जप करें।
मंत्र - क्क ह्रौ जूं स:
कर्ज से परेशान हैं तो ये टोटका करें
आजकल इस महंगाई के जमानें में कर्ज लेना आम लोगों की जरुरत बन चुकी है। ऋण एक ऐसा दलदल है जिसमें फं सने के बाद बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति परेशान हो जाता है। यदि आप भी कर्ज के बोझ के तले दबे हैं।ऋण का दबाव आप पर लगातार बढ़ता जा रहा है। हर समय चिंता और परेशानी की स्थिति रहती है। नीचे लिखे उपाय को अपनाकर आप कर्ज के बोझ से मुक्ति पा सकते हैं।
- रिक्ता तिथि, यम, घंटक काल, भद्रा, राहु काल को त्यागकर शुभ तिथि, शुभ वार में यह प्रयोग करें।
- डेढ़ मीटर सफेद कपड़ा चौकी पर बिछा ले।
- पूर्व में मुंह करें और पांच खिले हुए गुलाब लक्ष्मी या गायत्री मंत्र पढ़ते हुए। हल्के हाथ से कपड़े को गुलाब के फूल सहित बांध लें।
- इस बंधे हुए कपड़े को बहती नदी में प्रवाहित कर आएं।
- ऐसा अपनी सुविधानुसार सात बार करें। इस उपाय को करने से आपको शीघ्र ही कर्ज के बोझ से मुक्ति मिलने लगेगी।
राशि के अनुसार ऐसा करें तो होगी मनोकामना पूरी
जब कोई भी इंसान अपनी किसी भी इच्छा की पूर्ति के लिए कोशिशें कर के हार जाता है तो फिर वह मंदिरों में जाकर मन्नतें मांगता है। इस तरह वह पैसों व समय दोनों का नुकसान उठाता है। फिर भी वह निश्चयपूर्वक नहीं कह सकता कि उसकी मनोकामना पूरी हो ही जाएगी। लेकिन तंत्र विज्ञान मे कुछ ऐसे टोटके हैं जिन्हे अपनाकर आप निश्चित ही अपनी सारी मनोकामनाओं को पूर्ण कर सकते हैं।
यदि आप चाहते हैं 2011में आपकी हर एक मनोकामना पूरी हो तो आपकी राशि के अनुसार नीचे लिखें टोटको को पूरी श्रद्धा से अपनाएं निश्चित ही 2011 में आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
मेष- ग्यारह हनुमान जी को सिन्दूर का चोला चढ़ाएं या वर्ष में एक बार हनुमान जी के किसी मन्दिर में रामध्वजा लगवाएं।
वृषभ- ग्यारह शुक्रवार लक्ष्मीजी या देवी के मन्दिर में खुशबु वाली अगरबत्ती चढ़ाएं और खीर का प्रसाद बांटे।
मिथुन- रोज कुछ भी खाने से पूर्व इलायची और तुलसीदल गणपति के स्मरण के साथ सेवन करें।
कर्क- भगवान शिव को हर सोमवार को मीठा दूध चढ़ाएं।
सिंह- जल में रोली और शहद मिलाकर रोज सूर्यदेव को तांबे के लोटे से अघ्र्य दें।
कन्या- २१ बुधवार गणेश जी को दूर्वा, गुड़ व साबुत मूंग चढाएं।
तुला- शुभ कार्य के लिए निकलने से पहले तुलसी के दर्शन करें और उसका एक पत्ता खाकर निकलें।
वृश्चिक- किसी भी महत्वपूर्ण कार्य के लिए निकलने से पूर्व हनुमान जी को पान का बीड़ा चढ़ाएं।
धनु- सूर्यदशा की ओर मुख करते हुए नित्य नाभि और मस्तक पर केसर का तिलक लगाएं।
मकर- हर शनिवार को उठते समय सबसे पहले खेजड़ी या पीपल के पेड़ पर जल चढाएं।
कुंभ- सात शनिवार दक्षिणामुखी हनुमान जी की परिक्रमा करें। अंत में गुड़ चने का प्रसाद चढ़ाकर हनुमान चालिसा का पाठ करें।
मीन- सात गुरुवार छोटी कन्याओं को गुड़ और भीगे चनों का प्रसाद बांटे
संतान प्राप्ति के लिए करें इस यंत्र की साधना
विधि- इस यंत्र को अष्टगंध से भोजपत्र पर लिखकर एक महीने तक षोड्शोपचार से पूजन करें। एक अन्य भोजपत्र पर प्रतिदिन यह यंत्र एक सौ आठ बार लिखें। इसके बाद पूर्णाहुति करके ब्राह्मण भोजन, हवनादि करके मुख्य यंत्र (जिसकी एक माह तक पूजा की है) को लाल रंग के कपड़े में बांध कर स्त्री की कमर में कमर में इस प्रकार बांधें कि वह गर्भाशय से स्पर्श होता रहे। प्रतिदिन लिखे जाने वाले यंत्र को पानी में या पीपल के वृक्ष पर विसर्जित कर दें।
शुभ फल भी देता है कालसर्प दोष
कालसर्प दोष का नाम सुनते ही मन में भय उत्पन्न हो जाता है। आमतौर पर माना जाता है कि कालसर्प दोष जीवन में बहुत दु:ख देता है और असफलता का कारण भी होता है। लेकिन कई बार कुंडली में विशेष योगों के चलते यह शुभाशुभ फल भी प्रदान करता है।
राहु को कालसर्प का मुख माना गया है। यदि राहु के साथ कोई भी ग्रह उसी राशि और नक्षत्र में शामिल है, तो वह ग्रह कालसर्प योग के मुख में स्थित माना जाता है।
यदि जातक की कुंडली में सूर्य कालसर्प के मुख में स्थित है अर्थात राहु के साथ स्थित हो तथा 1, 2, 3, 10 अथवा 12 वें स्थान में हो एवं शुभ राशि और शुभ प्रभाव में हो तो प्रतिष्ठा दिलवाता है। जातक का स्वास्थ्य उत्तम रहता है। वह राजनीतिक और सामाजिक कार्यों में प्रसिद्धि प्राप्त करता है।
यदि जातक की कुंडली में कालसर्प के मुख में चंद्रमा शुभ स्थिति और प्रभाव में हो तो जातक को परिपक्व और उच्च विचारधारा वाला बनाता है।
यदि जातक की कुंडली में मंगल कालसर्प के मुख में स्थित हो तो इसकी शुभ एवं बली स्थिति जातक को पराक्रमी और साहसी तथा व्यवहार कुशल बनाती है। वह हमेशा कामयाब होता है।
बुध यदि कालसर्प के मुख में स्थित हो तथा शुभ स्थिति और प्रभाव में हो तो ऐसे जातक को उच्च शिक्षा मिलती है तथा वह बहुत उन्नति भी करता है।
राहु के साथ गुरु की युति गुरु-चांडाल योग बनाती है। ज्योतिष में इसे अशुभ माना जाता है। लेकिन अगर यह योग शुभ स्थिति और शुभ प्रभाव में हो तो जातक को अच्छी प्रगति मिलती है।
कालसर्प के मुख में स्थित शुक्र शुभ स्थिति और प्रभाव में होने पर पूर्ण स्त्री सुख प्रदान करता है। दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है।
यदि कालसर्प के मुख में शनि शुभ स्थिति हो तो जातक को परिपक्व और तीक्ष्ण बुद्धि वाला होता है।
महाशिवरात्रि: रोगों से छुटकारा दिलाता है यह उपाय
भगवान शंकर अपने भक्तों को सभी सुख प्रदान करते हैं। यहां तक कि वे मरणासन्न भक्त को भी नया जीवन प्रदान कर सकते हैं। शिव हर प्रकार से अपने भक्तों आरोग्य प्रदान करते हैं। महाशिवरात्रि भगवान शिव की प्रमुख रात्रि है। इस दिन रोग निवारण के लिए किए गए उपाय बेहद लाभकारी होते हैं।
यदि आप किसी पुराने रोग से पीडि़त हैं और काफी उपचार करवाने के बाद भी कुछ फर्क नहीं पड़ रहा है तो इसके निवारण के लिए महाशिवरात्रि पर नीचे लिखा उपाय करें। शीघ्र ही आपकी बीमारी दूर हो जाएगी।
उपाय
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के मंदिर में जाकर शिवलिंग का दूध एवं काले तिल से युक्त जल द्वारा अभिषेक करें। अभिषेक के लिए तांबे के बर्तन को छोड़कर किसी अन्य धातु के पात्र का उपयोग करें। अभिषेक 108 बार करें। अभिषेक करते समय ऊँ जूं स: मंत्र का जप करते रहें।
इसके बाद भगवान शिव से रोग निवारण के लिए प्रार्थना करें और प्रत्येक सोमवार को रात में सवा नौ बजे के बाद गाय के सवा पाव कच्चे दूध से शिवलिंग का अभिषेक करने का संकल्प लें। महाशिवरात्रि के बाद इस संकल्प का पालन करें तथा अभिषेक करते समय भी इसी मंत्र का जप करें। भगवान शिव की कृपा से आप शीघ्र ही आप रोग मुक्त हो जाएंगे।इस प्रयोग से आपकी तिजोरी हमेशा भरी रहेगी
कुछ लोग कहते हैं कि भाग्य लिखा नहीं मिटता या नहीं टलता लेकिन यह सच नहीं है क्योंकि यदि भाग्य लिखने वाले को ही प्रसन्न कर लिया जाये। तब तो कहना ही क्या? तब तो भाग्य को बदलना ही पड़ता है।
तब तो जीवन की सारी परेशानियां और अवरोध मिट जाती है। इसलिए महंगाई के जमाने में आवश्यकताओं और सुविधाओं के बढऩे के साथ-साथ हम चाहे जितना पैसा कमा ले, कम ही है। धन की बढ़ती जरूरत के लिए अतिरिक्त कार्य करना होता है।
फिर भी आवश्यकताएं पूरी नहीं हो पाती। ऐसे में मेहनत के साथ-साथ धन की देवी लक्ष्मी की उपासना भी जाए तो व्यक्ति सभी ऐश्वर्य और सुख-शांति प्राप्त करता है। यदि आप भी अपने भाग्य का लिखा बदलना चाहते है तो नीचे लिखे इस मंत्र का जप करें।
-सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर।
- बाजोट पर लाल कपड़ा बिछाएं उस पर लक्ष्मी की तस्वीर के रखें।
-उसके बाद उस पर एक मोती शंख भी रखें।
-अब नीचे लिखे मंत्र के जप के साथ एक-एक चावल चढ़ाएं।
- जितनी बार हो सके इस मंत्र का जप करें।
- उसके बाद यह मोती शंख को लाल कपड़े में लपेटकर तिजोरी में रखें।
मंत्र: ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं दारिद्रय विनाशके जगत्प्रसूत्यै नम:।।कार्य सिद्धि की शक्ति देता है यह मंत्र
दैनिक जीवन में हर कार्य को करने के लिए शक्ति यानि ऊर्जा की आवश्यकता होती है। शक्ति तन के लिए व मन के लिए। इसके अलावा यदि आप अपने जीवन में कुछ पाना चाहते हैं तो इसके लिए भी आपको कार्य सिद्धि की शक्ति चाहिए होती है। यानि शक्ति हर काम के लिए जरुरी है। यहां शक्ति से अभिप्राय ताकत से नहीं है। तन, मन और दृढ़इच्छा का मिलाजुला रूप ही शक्ति है। तन, मन तथा किसी विशेष कार्य सिद्धि के लिए शक्ति प्राप्त करने के लिए नीच लिखे मंत्र का जप करना चाहिए। यह दुर्गासप्तशती के ग्यारहवें अध्याय का ग्यारहवां मंत्र है।
मंत्र
सृष्टिस्थितिविना�� �ानां शक्तिभूते सनातनि।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोस्तु ते।।
जप विधि
प्रात:काल जल्दी उठकर साफ वस्त्र पहनकर सबसे पहले माता दुर्गा की पूजा करें। इसके बाद एकांत में कुश के आसन पर बैठकर लाल चंदन के मोतियों की माला से इस मंत्र का जप करें। इस मंत्र की प्रतिदिन 5 माला जप करने से तन, मन तथा कार्यों को सिद्ध करने की शक्ति प्राप्त होती है। यदि जप का समय, स्थान, आसन, तथा माला एक ही हो तो यह मंत्र शीघ्र ही सिद्ध हो जाता है।
मांगलिक दोष ----आप ये उपाय करें ........
- शिव आराधना करें ..... शिव लिंग पर हर मंगलवार को एक जलेबी का भोग लगायें
- हनुमान चालीसा का नित्य पाठ करें और यदि रोज़ संभव नहीं हो तो मंगलवार और शनिवार को जरुर करें - हर मंगलवार को शहद खाएं।
- 12 मंगलवार तक गुड़ पानी में बहाएं।
- हर मंगलवार को हनुमान मंन्दिर में लड्डू का प्रसाद चढ़ाए और बांटे।
- कुत्तों को मिठी रोटीयां खिलाएं।
- बताशे पानी में बहाएं।
- 7 मंगलवार तक दूध में चावल धोकर पानी में बहाएं।
- बंदरों को चने खिलाएं।
अगर इन उपायों को अपनाएंगे तो हो सकता है कि आपकी कुंडली में मंगल दोष के प्रभाव के कारण जो परेशानिया आपके जीवन में है वो कम हो जाएँगी
और वैसे एक कहावत है ........ "मंगल मुखी सदा सुखी"
कर्म करते रहे ज्योतिष या कोई और उपाय केवल आपकी मदद के लिए है .... पूरी तरह इन पर निर्भर ना रहेंआंखों का फड़कना भी कर जाता है बड़ा 'संकेत'
मनुष्य का शरीर काफी संवेदनशील होता है। यही कारण है कि भविष्य में होने वाली घटना के प्रति हमारा शरीर पहले ही आशंका व्यक्त कर देता है। शरीर के विभिन्न अंगों का फड़कना भी भविष्य में होने वाली घटनाओं से हमें अवगत कराने का एक माध्यम है। किस अंग के फड़कने का क्या शुभ-अशुभ फल होता है, वह इस प्रकार है-
सिर के विभिन्न हिस्सों का फड़कना
सिर के अलग-अलग हिस्सों के फड़कने का भिन्न-भिन्न अर्थ होता है जैसे- मस्तक फड़कने से भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। कनपटी फड़के तो इच्छाएं पूर्ण होती हंै। दाहिनी आंख व भौंह फड़के तो समस्त अभिलाषा पूर्ण होती है। बांई आंख व भौंह फड़के तो शुभ समाचार मिलता है।दोनों गाल यदि फड़के तो धन की प्राप्ति होती है। यदि होंठ फडफ़ड़ाएं तो किसी मित्र का आगमन होता है। मुंह का फड़कना पुत्र की ओर से शुभ समाचार का सूचक होता है। यदि लगातार दाहिनी पलक फडफ़ड़ाए तो शारीरिक कष्ट होता है।
हाथ के विभिन्न हिस्सों का फड़कना
दाहिनी ओर का कंधा फड़के तो धन-संपदा मिलती है। बांई ओर का फड़के तो सफलता मिलती है और यदि दोनों कंधे फड़कें तो झगड़े की संभावना रहती है। हथेली में यदि फडफ़ड़ाहत हो तो व्यक्ति किसी विपदा में फंस जाता है। हाथों की अंगुलियां फड़के तो मित्र से मिलना होता है। दाईं ओर की बाजू फड़के तो धन व यश लाभ तथा बाईं ओर की बाजू फड़के तो खोई वस्तु मिल जाती है। दाईं ओर की कोहनी फड़के तो झगड़ा होता है, बाईं ओर की कोहनी फड़के तो धन की प्राप्ति होती है।
शरीर के मध्य भागों का फड़कना
पीठ फड़के तो विपदा में फंसने की संभावना रहती है। दाहिनी ओर की बगल फड़के तो नेत्रों का रोग हो जाता है। पसलियां फड़के तो विपदा आती है। छाती में फडफ़ड़ाहट मित्र से मिलने का सूचक होती है। ह्रदय का ऊपरी भाग फड़के तो झगड़ा होने की संभावना होती है। नितंबों के फड़कने पर प्रसिद्धि व सुख मिलता है।
पैर के विभिन्न हिस्सों का फड़कना
दाहिनी ओर की जांघ फड़के तो अपमान होता है, बाईं ओर की फड़के तो धन लाभ होता है। गुप्तांग फड़के तो दूर की यात्रा पर जाना होता है। दाहिनें पैर का तलवा फड़के तो कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। बाईं ओर का फड़के तो निश्चित रूप से यात्रा पर जाना होता है।नारियल करेगा हर परेशानी दूर
महालक्ष्मी की प्राप्ति में दुर्लभ वस्तुएं श्री यंत्र , एकमुखी रूद्राक्ष , एकाक्षी नारियल मोती शंख आदि प्रमुख है। एकाक्षी नारियल का अपना अलग महत्व है। यह लक्ष्मी का साक्षात स्वरूप है। सामान्यत: नारियल में दो काले बिंदू होते हैं। ये बिन्दू ही आंख कहलाती है लेकिन बहुत ही कम मात्रा में ऐसे नारियल प्रयास करने से मिल जाते हैं। जिस पर एक ही आंख होती है।
-एकाक्षी नारियल घर में स्थायी सम्पति, ऐश्वर्य और आनन्द देता है।
-इसे सुंघाने मात्र से स्त्री गर्भ के कष्ट से मुक्ति मिलती है और सरलता से प्रसव होता है।
- श्री फल को सात बार पानी में डूबोकर सात बार ही श्रीं मंत्र का जप करें फिर पानी छिटने से भूत-प्रेतों का उपद्रव शांत हो जाता है।
- यदि मुकदमे में विजय प्राप्त करना हो तो रविवार को उस पर विरोधी का नाम लेकर लाल कनेर का फूल रख दें। जिस दिन न्यायालय में जाना हो उस दिन वह फूल अपने साथ लेकर फिर लाल कनेर का फूल रख दें और जिस दिन न्यायालय में जाना हो उस दिन वह फूल अपने साथ लेकर जाए तो सारी स्थिति अनुकूल हो जाती है।
- यदि कुछ भी प्रयोग न किया जाए तब भी इस प्रकार का नारियल सिर्फ अपनी तिजोरी में लाल कपड़े मे लपेटकर रखने मात्र से भी बहुत प्रभाव पड़ता है।
- नारियल पर चन्दन, केशर, रोली मिलाकर उसका तिलक ललाट पर लगाने से व्यक्ति हर कार्य में पूर्ण सफलता प्राप्त करने लगता है।क्या आपको दमा है? यह टोटके करें
सांस की बीमारी (दमा) एक आम रोग है। वर्तमान समय में अधिकांश लोग इससे पीडि़त हैं। आमतौर पर यह रोग अनुवांशिक होता है तो कुछ लोगों को मौसम के कारण हो जाता है। इसके कारण रोगी कोई भी काम ठीक से नहीं कर पाते और जल्दी थक जाते हैं। मेडिकल साइंस द्वारा इस रोग का संपूर्ण उपचार संभव है। साथ ही यदि नीचे लिखे उपायों को भी किया जाए तो इस रोग में जल्दी आराम मिलता है।
1- शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से लगातार तीन सोमवार तक एक सफेद रूमाल में मिश्री एवं चांदी का एक चौकोर टुकड़ा बांधकर बहते जल में प्रवाहित करें तथा शिवजी को चावल के आटे का दीपक कपूर मिश्रित घी के साथ अर्पित करें। श्वास रोग दूर हो जाएंगे।
2- रविवार को एक पात्र में जल भरकर उसमें चांदी की अंगूठी डालकर सोमवार को खाली पेट उस जल का सेवन करें। दमा रोग दूर हो जाएगा।
3- किसी भी मास के प्रथम सोमवार को विधि-विधानपूर्वक चमेली की जड़ को अभिमंत्रित करके सफेद रेशमी धागे में बांधकर गले में धारण करें और प्रत्येक सोमवार को बार-बार आइने में अपना चेहरा देंखे। सांस की सभी बीमारियां दूर हो जाएंगी।
4- सांस की नली में सूजन, सांस लेने में तकलीफ, फेफड़ों में सूजन के कारण कफ जमने अथवा खांसी से मुक्ति पाने के लिए किसी शुभ समय में केसर की स्याही और तुलसी की कलम द्वारा भोजपत्र पर चंद्र यंत्र का निर्माण करवाकर गले में धारण करें। श्वास संबंधी सभी रोग दूर हो जाएंगे।
शनि जयंती: मौका न छोड़ें सिंह, कन्या, तुला राशि वाले
1 जून को शनि जयंती है। इस दिन शनि की विशेष पूजा और ज्योतिषीय उपाय बहुत फायदेमंद साबित होंगे। जिन लोगों पर अभी शनि की साढ़े साती चल रही है, उन्हें इस दिन शनि की आराधना करनी चाहिए। शनि की साढ़ेसाती हमेशा ही अशुभ फल देने वाली नहीं होती। शनि अपने गोचर प्रभाव के कारण कुछ कठोर दंड जरूर देता है लेकिन जो जातक धैर्य, सत्यनिष्ठा और ईमानदारी से अपना काम करता है, उन्हें शनि अपने दृष्टि प्रभाव से हर कार्य में सफल कर देता है।
वर्तमान में शनि कन्या राशि में भ्रमण कर रहा है। इस राशि वालों को साढ़ेसाती का दूसरा ढैय्या चल रहा है। सिंह राशि वालों को साढ़ेसाती का उतरता हुआ अन्तिम (तीसरा) ढैय्या चल रहा है और तुला राशि वालों को साढ़ेसाती का पहला ढैय्या चल रहा है। इन राशियों पर साढ़ेसाती चलने के साथ साथ मिथुन और कुंभ राशि पर भी शनि का असर रहेगा। यह असर 15 नवंबर तक इन राशियों पर रहेगा।
15 नवंबर को शनि तुला राशि में प्रवेश करेगा। तब कन्या राशि वालों को शनि का उतरता हुआ अंतिम ढैय्या रहेगा। तब तुला राशि वालों को दूसरा ढैय्या चलेगा। 15 नवंबर से वृश्चिक राशि वाले जातको को शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी।
शनि के बुरे असर से बचने के साढ़ेसाती के उपाय-
सिंह राशि-
इस राशि वालों को साढ़ेसाती का अंतिम चरण चल रहा है इससे सिंह राशि वालों को पैसों से संबंधित समस्याओं से जुझना पड़ रहा है। आमदनी कम और खर्च ज्यादा हो रहा है। मानसिक तनाव भी बढ़ता जा रहा है। इसलिए ये उपाय करें
- प्रति शनिवार तेल में अपना चेहरा देखकर किसी गरीब को तेल दान करें।
- हर शनिवार को काली वस्तुओं का दान करें। जैसे काले तिल, काले वस्त्र, काला कंबल, काला कपड़ा, काली छतरी का दान करें।
- प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।
कन्या राशि-
इस राशि वालों को साढ़ेसाती का दूसरा चरण चल रहा है। इस समय कन्या राशि वालों पर शनि देव का विशेष प्रभाव पड़ रहा है। इससे इन लोगोंं का परिवारिक और व्यवसायिक जीवन बिगड़ रहा है। शत्रु भी बढऩे लगे हैं। इसलिए इस राशि वालों को ये उपाय करने चाहिए
- हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें।
- शनिदेव को तेल चढ़ाएं।
- काली गाय को घास खिलाएं।
- शनिवार के दिन व्रत करे और लोहे का दान दें।
तुला राशि-
इस राशि वालों पर अभी शनि का पहला ही ढैय्या शुरू हुआ है संघर्ष, परेशानि और मेहनत के दिन अभी शुरू ही हुए हैं इसलिए अभी से इस राशि वालें ये उपाय करें
- काले कुत्ते को तेल की रोटी खिलाएं।
- भैरव मन्दिर में जलते दीपक में तेल डालें।
- तवा अंगीठी आदि का दान दें।
- किसी लंगड़े व्यक्ति को शनि की वस्तुओं का दान दें।झाड़ू पर पैर लगने से रूठ जाती हैं महालक्ष्मी
वैसे तो झाड़ू साफ-सफाई करने के काम आती है लेकिन शास्त्रों के अनुसार इसे धन की देवी महालक्ष्मी का रूप माना जाता है। इसी वजह से झाड़ू के संबंध में कई खास बातें बताई गई हैं। इन बातों को अपनाने से हमारे जीवन में धन संबंधी कई परेशानियां स्वत: ही दूर हो जाती हैं।
अक्सर कई घरों में ऐसा देखा जाता है कि झाड़ू पर पैर लगने के बाद उसे प्रणाम करते हुए क्षमा मांगी जाती है, क्योंकि झाड़ू को लक्ष्मी का रूप माना जाता है। विद्वानों के अनुसार झाड़ू पर पैर लगने से महालक्ष्मी का अनादर होता है। झाड़ू घर का कचरा बाहर करती है और कचरे को दरिद्रता का प्रतीक माना जाता है। जिस घर में पूरी साफ-सफाई रहती है वहां धन, संपत्ति और सुख-शांति रहती है। इसके विपरित जहां गंदगी रहती है वहां दरिद्रता का वास होता है। ऐसे घरों में रहने वाले सभी सदस्यों को कई प्रकार की आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसी कारण घर को पूरी तरह साफ रखने पर जोर दिया जाता है ताकि घर की दरिद्रता दूर हो सके और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सके।
घर से दरिद्रता रूपी कचरे को दूर करके झाड़ू यानि महालक्ष्मी हमें धन-धान्य, सुख-संपत्ति प्रदान करती है। जब घर में झाड़ू का कार्य न हो तब उसे ऐसे स्थान पर रखा जाता है जहां किसी की नजर न पड़े। इसके अलावा झाड़ू को अलग रखने से उस पर किसी का पैर नहीं लगेगा जिससे देवी महालक्ष्मी का निरादर नहीं होगा। घर में झाड़ू को हमेशा छुपाकर ही रखना चाहिए।
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